मोटा है बच्‍चा और गर्दन पर दिखाई दे रहे हैं काले निशान तो तुरंत कराएं ये जांच, हो सकती है गंभीर बीमारी..

हाइलाइट्स

बच्‍चों की गर्दन पर काले निशान डायबिटीज का संकेत हो सकते हैं.
अगर साथ में मोटापा भी है तो बच्‍चों का तुरंत ब्‍लड शुगर टेस्‍ट कराएं.

Diabetes Symptoms in Children: किसी समय में जो बीमारियां बड़ों को हुआ करती थीं वे अब बच्‍चों को तेजी से अपना शिकार बना रही हैं. फिर चाहे हार्ट का मामला हो, बीपी हो या लाइफस्‍टाइल से जुड़े कई डिसऑर्डर्स. अगर आपका बच्‍चा मोटा है तब तो उसे कई ऐसी बीमारियां होने की संभावना है जो उसका जीवन भर भी पीछा नहीं छोड़ेंगी. इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता बच्‍चे के शरीर में दिखाई दे रहे लक्षणों का ध्‍यान रखें. मोटापे से ग्रस्‍त बच्‍चों की गर्दन पर अगर आपको काले निशान या धब्‍बे दिखाई दे रहे हैं और ये समय के साथ गहराते जा रहे हैं तो आपको तत्‍काल बच्‍चे में शुगर की जांच कराना जरूरी है.

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट का कहना है कि मोटापे के साथ गर्दन पर काले निशान डायबिटीज का संकेत हैं. एम्‍स दिल्‍ली में पिछले कुछ सालों से आ रहे डायबिटिक बच्‍चों में यह लक्षण देखा जा रहा है. बच्‍चों की गर्दन पर बनने वाले इन काले धब्‍बों की स्थिति को स्किन एकेनथूसिस निगरिकन्‍स के नाम से जाना जाता है. इससे पहले की देर हो जाए और बच्‍चा प्री डायबिटिक से डायबिटिक हो जाए, उसकी तत्‍काल जांच कराएं.

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ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली में पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी डिविजन की प्रोफेसर डॉ वंदना जैन बताती हैं कि मोटापा बढ़ने के साथ गर्दन के काले धब्बे आपकी त्वचा कोशिकाओं में इंसुलिन के बढ़े हुए स्तर के कारण होते हैं. यह आमतौर पर टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में देखे जाते हैं. कई बार यह मोटापे की वजह ये या बीमारियां जैसे पाचन तंत्र के कैंसर, अंतःस्रावी (एंडोक्राइन) तंत्र के रोग आदि से भी संबंधित हो सकते हैं, हालांकि शुगर बढ़ने पर इस प्रकार के धब्‍बों का बढ़ना ज्‍यादा कॉमन है.

उन्‍होंने बताया कि लगभग 10 साल पहले तक एम्‍स में हर महीने डायबिटीज के 2 या 3 नए बच्‍चे ही आते थे लेकिन कोरोना गुजरने के बाद से अब मरीजों की संख्‍या बढ़ गई है. अब एम्‍स में हर महीने 12 से 15 नए बच्‍चे डायबिटीज के इलाज के लिए आ रहे हैं और करीब 1000 बच्‍चे सालाना फॉलोअप के लिए आ रहे हैं. ऐसे में बच्‍चों में डायबिटीज की बीमारी कई गुना तक बढ़ती हुई दिखाई दे रही है.

खास बात है कि ये सभी बच्‍चे बीमारी की प्राइमरी स्‍टेज या लक्षण पता चलने के तुरंत बाद नहीं आ रहे, बल्कि अधिकांश बच्‍चे ऐसे हैं जिन्‍हें बीमारी का पता नहीं चल पाया और कोई अन्‍य बीमारी के प्रकट होने पर डायबिटीज का पता चला और तब तक हालात काफी खराब हो गए. कई बच्‍चों में गले के निशान के अलावा हाई बीपी, फैटी लिवर, कॉलेस्‍ट्रॉल आदि की समस्‍याएं भी देखने को मिल रही हैं. इसलिए बेहद जरूरी है कि डायबिटीज के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तत्‍काल शुगर की जांच कराएं और अस्‍पताल में विशेषज्ञ को दिखाएं.

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Benefits of Amla

 

Cultivated across India and neighboring regions, amla has garnered global attention as a “superfruit.” Its reputation is well-deserved, given that a 100-gram portion of fresh amla berries provides the equivalent vitamin C content of 20 oranges.

Amla, alternatively recognized as Indian gooseberries, thrives on the flowering tree sharing its name. These petite, round berries exhibit vibrant shades of yellow-green. Despite their inherent sourness, they possess a flavor that can elevate dishes they’re incorporated into.

Though the precise origins of amla berry’s utilization by Ayurvedic practitioners remain unclear, historical documentation suggests their presence in remedies dates back at least 1,000 years.

Integrating this age-old superfruit into your diet could potentially enhance your overall well-being.

 

Health Benefits-

The antioxidants and vitamins present in amla berries provide numerous health advantages. With its abundant vitamin C content, amla aids in the body’s recovery from illness. Additionally, amla berries contain various flavonols, compounds associated with benefits such as enhanced memory.

Below are various health benefits associated with amla:

Diabetes Management

Amla berries are rich in soluble fiber that quickly dissolves in the body, aiding in slowing down sugar absorption and reducing blood sugar spikes. They also exhibit positive effects on blood glucose and lipid levels among individuals with type 2 diabetes.

Enhanced Digestion

The fiber content in amla berries assists in regulating bowel movements and potentially alleviating symptoms of conditions like irritable bowel syndrome. Moreover, the high vitamin C levels in amla berries facilitate better nutrient absorption, particularly beneficial when taking iron and other mineral supplements.

Improved Eye Health

Amla berries are abundant in vitamin A, crucial for enhancing vision and potentially lowering the risk of age-related macular degeneration. Additionally, the vitamin C content in amla contributes to eye health by combatting bacteria, thus shielding against conjunctivitis and other infections.

Boosted Immunity

A 100g serving of amla berries provides over twice the daily recommended value of vitamin C for adults, along with notable amounts of polyphenols, alkaloids, and flavonoids. Amla exhibits antibacterial and anti-inflammatory properties, bolstering immunity.

Memory and Cognitive Health

The phytonutrients and antioxidants in amla play a role in enhancing memory by combating free radicals that may harm brain cells. Furthermore, amla’s high vitamin C concentration aids in the production of norepinephrine, a neurotransmitter believed to enhance brain function in individuals with dementia.

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केवल स्वाद का तड़का ही नहीं लगाता, सेहत के लिए भी वरदान है कड़ी पत्ता, कई बीमारियों का बन सकता है काल

हाइलाइट्स

कड़ी पत्ते ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं.
करी पत्तों का सेवन करने से दिल को हेल्दी रखा जा सकता है.

Curry Leaves Health Benefits: खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए बहुत लोग कुकिंग में कड़ी पत्तों का इस्तेमाल करते हैं. साउथ इंडियन डिश में तो करी लीव्स का इस्तेमाल खूब किया जाता है. लेकिन आपको बता दें कि कड़ी पत्तों (Curry leaves) का काम केवल स्वाद का तड़का लगाने तक ही सीमित नहीं है. पोषक तत्वों से भरपूर कड़ी पत्ते कई बीमारियों का काल भी बन सकते हैं.

कड़ी पत्तों में लिनालूल, अल्फा-टेरपीन, मायसीन, महानिम्बाइन, कैरियोफिलीन, मुरैयानोल और अल्फा-पिनिन जैसे कई कंपाउंड मौजूद रहते हैं. जो आपके शरीर को हेल्दी बनाए रखने में अच्छी भूमिका निभाते हैं. तो आइए हेल्थलाइन के अनुसार जानते हैं करी पत्ते के फ़ायदों के बारे में.

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एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर
कड़ी पत्तों को डाइट में शामिल करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. बता दें कि करी पत्ते एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं जो ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मददगार है. इनमें एल्कलॉइड, ग्लाइकोसाइड और फेनोलिक यौगिक मौजूद होता है जो सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.

दिल को रखते हैं दुरुस्त
कड़ी पत्ते खाने से हार्ट को हेल्दी रखने में मदद मिलती है. दरअसल करी पत्ते का सेवन करने से हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम किया जा सकता है जो हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने में मददगार है.

कैंसर को रखे दूर
कड़ी पत्तों को डाइट में शामिल करने से महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है. दरअसल करी पत्ते में ऐसे यौगिक होते हैं जिनमें महत्वपूर्ण एंटीकैंसर प्रभाव होते हैं जो स्तन कैंसर के विकास को रोकने में अच्छी भूमिका निभा सकते हैं.

डायबिटीज में फायदेमंद
कड़ी पत्तों का सेवन डायबिटीज पेशेंट के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि करी लीव्स ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करते हैं. जो आपको मधुमेह से संबंधित लक्षणों से बचाने में मदद कर सकता है, जिससे किडनी डैमेज का रिस्क कम होता है.

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बैक्टीरियल इंफेक्शन से होगा बचाव
कड़ी पत्तों को डाइट का हिस्सा बनाने से बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाव होता है. एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन में पाया गया कि करी पत्तों का अर्क हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को रोकने में सक्षम है. जिसमें कोरिनेबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस और स्ट्रेप्टोकोकस पायोजेनेस शामिल हैं.

सूजन से मिलती है राहत
कड़ी पत्ते सूजन से निजात दिलाने में भी कारगर साबित हो सकते हैं. करी पत्ते में ऐसे एंटी इंफलेमेट्री तत्व मौजूद होते हैं, जो सूजन से संबंधित जीन और प्रोटीन को कम करने में मदद करते हैं.

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लिमट क्रॉस कर रहा है हाई बीपी और यूरिक एसिड? यह खास तत्व लगाएगा ब्रेक, डाइट में शामिल करना भी आसान

Omega 3 fatty acid control high bp and uric acid: हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन भी कहा जाता है. दुनिया भर में करीब एक अरब लोगों को हाई ब्लड प्रेशर है. हाई ब्लड प्रेशर में खून का दबाव या प्रेशर सामान्य से ज्यादा हो जाता है. पूरा दिन ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव तेजी से होती है. अगर जल्दी-जल्दी माप लेने के बाद सामान्य से बहुत ज्यादा ब्लड प्रेशर है तो इसे हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है. और इसके लिए दवाइयां लेनी जरूरी हो जाती है. हाई ब्लड प्रेशर के कारण खून के प्रेशर ब्लड वैसल्स और धमनियों पर ज्यादा पड़ता है जिससे हमेशा दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा रहता है.

इसी तरह आजकल लोगों में यूरिक एसिड बढ़ने के मामले भी तेजी से आ रहे हैं. शरीर में जब प्रोटीन का अवशोषण होता है तब बायप्रोडक्ट के रूप में प्यूरिन बनता है. यह प्यूरिन टूटकर यूरिक एसिड में बदल जाता है. साधारणतया यूरिक एसिड पेशाब के साथ बाहर निकल जाता है लेकिन कभी-कभार कुछ लोगों में यह तेजी से बढ़ने लगता है जिसके कारण जोड़ों में तेज दर्द होता है. लेकिन इन दोनों बीमारियों को डाइट से कंट्रोल किया जा सकता है.

बीपी कंट्रोल करने के साथ हार्ट को करता है मजबूत
मेडिकल न्यूज टूटे के मुताबिक कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि ओमेगा-3 फैटी शरीर में कई कामों को नियंत्रित करता है. यह ब्लड प्रेशर को संतुलित करता है और बढ़े हुए यूरिक एसिड को सामान्य करता है. शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं की संरचना में ओमेगा-3 फैटी एसिड का महत्वपूर्ण योगदान है. रिसर्च के मुताबिक ओमेगा 3 फैटी एसिड ट्राईग्लिसेराइड के लेवल को भी कम करता है. ट्राइग्लिसेराइड के बढ़ने से कई तरह के कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. यही कारण है कि अगर शरीर में ट्राइग्लिसेराइड्स का लेवल सही हो तो इससे हार्ट अटैक का जोखिम भी कम हो जाता है.

जोड़ों का दर्द कम करता
ओमगा 3 फैटी एसिड ऐसा तत्व है जो शरीर से यूरिक एसिड की मात्रा को कम करता है. यह एंटी-इंफ्लामेटरी भी है जिसके कारण ओमेगा 3 फैटी एसिड जोड़ों के बीच बनी सूजन को खत्म करने में मददगार है. द जर्नल ऑफ न्यूट्रिशनल बायोकैमिस्ट्री के मुताबिक ओमेगा 3 फैटी एसिड सप्लीमेंट से मोटापा पर भी लगाम लगाया जा सकता है.

कैसे प्राप्त करें ओमेगा 3 फैटी एसिड को
ओमेगा 3 फैटी एसिड कई तरह के फूड में पाया जाता है. हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक ओमेगा 3 फैटी एसिड फैटी फिश जैसे कि टूना, सेलमन, ट्रॉट, सीड्स, बादाम, ओएस्टर, अलसी के बीज, एवोकाडो, चिया सीड्स, अखरोट, सोयाबीन आदि में पाया जाता है.

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कैंसर, हार्ट सर्जरी जैसी सीरियस बीमारी के लिए बिहार सरकार देगी लाखों रुपए, बस करना होगा ये काम

मोहन प्रकाश/ सुपौल. बिहार सरकार गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए गरीब परिवारों को मदद करती है. इसके तहत राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से योजना चला रही है. इस योजना के माध्यम से सरकार 20 हजार से लेकर ढाई लाख रुपए तक की मदद करती है. इसके अंतर्गत कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट, घुटना ट्रांसप्लांट, हार्ट सर्जरी, एड्स, स्पाइनलसर्जरी, बोन मैरो ट्रांसप्लांट सहित अन्य गंभीर रोगों के इलाज के लिए अनुदान राशि दी जाती है. सिविल सर्जन डॉ. ललन कुमार ठाकुर बताते हैं कि बिहार में स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष नाम की योजना चलाई जा रही है. इसके तहत 14 प्रकार के असाध्य रोगों के मरीजों की इलाज के लिए सहायता राशि दी जाती है. यह राशि अलग-अलग बीमारी के लिए अलग-अलग है.

वे बताते हैं कि इस योजना के तहत वैसे परिवारों के मरीजों को आर्थिक मदद दी जाती है, जिनकी सालाना आय ढाई लाख रुपए से कम है. योजना का लाभ लेने के लिए मरीज का बिहार का निवासी होना जरूरी है. आवेदक के पास मतदाता वोटर आईकार्ड, आधार कार्ड, आवासीय प्रमाण-पत्र और आय प्रमाण-पत्र होना चाहिए. इलाज की सुविधाराज्य सरकार के अस्पतालों और सीजीएचएस से मान्यता प्राप्त सभी अस्पतालों में मिलेगी. उन्होंने बताया कि अनुदान के लिए लाभुक को राज्य सरकार के अस्पताल अथवा सीजीएचएस से मान्यता प्राप्त अस्पताल का चिकित्सा पूर्जा, मूल खर्च पर्ची और सभी जरूरी कागजातों के साथ स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख पटना या सिविल सर्जन कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं.

आवेदन स्वीकृत होने पर खाता में जाएगी राशि
सिविल सर्जन ने बताया कि इस योजना के तहत आवेदन स्वीकृत होने पर अनुदान की राशि संबंधित मरीज के बैंक खाते में चली जाती है या जिस अस्पताल में मरीज का इलाज चल रहा होता है, उस अस्पताल के खाते में भेज दी जाती है. योजना के तहत कैंसर के लिए 40 से 60 हजार रुपए, हार्ट संबंधी बीमारी के लिए 15 से लेकर डेढ़ लाख रुपए, एड्स के लिए 50 हजार, टोटल हीप अथवा नी रिप्लेसमेंट के लिए 15 से 20 हजार, स्पाइनल सर्जरी के लिए डेढ़ लाख, ब्रेन सर्जरी के लिए 50 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक अनुदान दिया जाता है.

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